तू नहीं है तो जीने का सबब पाऊँ कैसे
मै तो समझता हूँ मगर दिल को समझाऊँ कैसे
लोग पूछते हैं मलाल-ए-दिल की वजह
दिल धड़कने की वजह तू थी बताऊ कैसे
सपने तो आज भी देते हैं दिल पर दस्तक
तेरे बगैर सपनो को सजाउ कैसे
लो एक और आ गयी जुदाई की सालगिरह
अकेले ही ये सालगिरह मनाउ कैसे
ये नहीं के खुदा-परस्त नहीं हैं कलाम
पर खुदाई चली गयी तो खुदा को पाऊँ कैसे
Very nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteApratim
ReplyDeleteApratim
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteक्या बात है
ReplyDeleteWah wa
ReplyDeleteWah wa
ReplyDeleteMandar ,beautiful !!...I dont know what is more amazing....your poetry or your urdu !
ReplyDeleteMandar ,beautiful !!...I dont know what is more amazing....your poetry or your urdu !
ReplyDeleteAmazing Mandar ... Kya shayrana andaz hai ... Urdu 🙏🙏
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